अणुव्रत समितियों द्वारा 68वें अणुव्रत स्थापना दिवस पर आयोजित
12 Jun 2017
मानवीय-नैतिक मूल्यों के पुनर्प्रतिष्ठापन में
संलग्न अणुव्रत आंदोलन के 68वें स्थापना दिवस पर अणुव्रत भवन
में आयोजित अणुव्रत परिषद् को संबोधित करते हुए अणुव्रत
प्राध्यापक मुनिश्री सुखलाल ने कहा-आज से लगभग सात दशक
पूर्व अणुव्रत आंदोलन का सिंहनाद एक नियति थी। उसके पीछे
आचार्य तुलसी का प्रबल पुरुषार्थ था। आचार्य तुलसी जैन धर्म के
एक सम्प्रदाय के अधिशास्ता थे, पर उन्होंने साम्प्रदायिक मनोभाव
से ऊपर उठकर अणुव्रत को विराट असाम्प्रदायिक पृष्ठभूमि प्रदान
की। उन्होंने स्वयं देश में लम्बी-लम्बी पदयात्राएं कर जन-जन
तक अणुव्रत का संदेश पहुंचाया।
साहित्यकार फतहलाल गुर्जर अनोखा ने अणुव्रत के ग्यारहवें
नियम ‘मैं पर्यावरण की समस्या के प्रति जागरूक रहंूगा’ की
विवेचना करते हुए कहा कि अणुव्रत की संयम प्रधान जीवनशैली
को स्वीकार करके ही हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। शिक्षाविद्
डॉ. हीरालाल श्रीमाली ने शिक्षा जगत में हुए अणुव्रत के करणीय
कार्यों को रेखांकित किया तो अणुव्रत सेवी जीतमल कच्छारा ने
अहिंसा मार्ग को अपनाने का अनुरोध किया। मुनि मोहजीत कुमार
ने कहा कि अणुव्रत का घोष है संयम ही जीवन है, जो युगीन
समस्याओं का समाधान है। राष्ट्रीय अणुव्रत शिक्षक संसद संस्थान
के नवनिर्वाचित अध्यक्ष तनसुखलाल बैद ने कहा कि अणुव्रत दर्शन
की रचनात्मक भूमि राजसमंद में अणुव्रत स्थापना दिवस पर
अणुव्रत प्राध्यापक मुनि सुखलाल का सान्न्ध्यि हमें इतिहास और
वर्तमान से परिचित करा रहा है। गांधी सेवा सदन की बालिकाओं
ने समवेद् स्वरों में अणुव्रत गीत का संगान किया। अणुव्रत सेवी
मदनलाल धोका ने स्वागत वक्तव्य दिया। अणुव्रत भवन प्रबंध
संस्थान के गुणसागर कर्णावट ने मुनि सुखलाल का भावभरा
अभिनंदन करते हुए कहा कि सन् 1960 में मुनिश्री की प्रेरणा से
राजसमंद में हमनें विद्यार्थी अणुव्रत परिषद् का गठन किया। मेरा
परिवार विगत सात दशक से अणुव्रत इतिहास का साक्षी रहा है।
अणुव्रत परिषद् को मुनि जयेश, पूर्व निवर्तमान अध्यक्ष शिक्षक
संसद उत्तमचंद पगारिया, सुरेश कावड़िया ने भी संबोधित किया।
अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेन्द्र कर्णावट ने अणुव्रत आंदोलन के
गौरवमयी इतिहास को शब्द देते हुए प्रभावी संयोजन किया।
फतहलाल कच्छारा धोइंदा ने अणुव्रत पुस्तकालय हेतु एक
लाख रुपये अनुदान की घोषणा की। समिति अध्यक्ष मदनलाल
धोका ने सभागत परिषद् एवं मुनिश्री का स्वागत किया।अणुव्रत शिक्षक संसद संस्थान के अध्यक्ष तनसुखलाल बैद
एवं निवर्तमान अध्यक्ष उत्तमचंद पगारिया का शॉल व अणुव्रत
साहित्य भेंट कर अभिनंदन किया गया। अणुव्रत परिषद् में अणुव्रत
सेवी गणपत धर्मावत, लक्ष्मीलाल गांधी, काशीराम पालीवाल,
दुर्गाशंकर मधु, शाबिर शुक्रिया, डॉ. आसोलिया, कल्याणमल
विजयवर्गीय, सागरमल कावड़िया, कमल बैरवा, अफजल खां
अफजल, फतहलाल कच्छारा, डॉ. विमल कावड़िया, वीरेन्द्र
पाण्डये, गजेन्द्र माली, गोवर्धनसिंह, आबिलअली, मंजुलता शर्मा,
सीमा कावड़िया, निर्मला चपलोत, कल्पना कर्णावट, ऋचा
श्रीवास्तव आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।View More