अणुव्रत समितियों द्वारा 68वें अणुव्रत स्थापना दिवस पर आयोजित
13 Jun 2017
अणुव्रत स्थापना दिवस के
अवसर पर स्थानीय समिति द्वारा कार्यक्रम
आयोजित किया गया। सेवा केन्द्र
व्यवस्थापिका साध्वीश्री पावन प्रभा ने कहा
कि अणुव्रत चरित्र प्रधान धर्म है। यह सच्चे
अर्थों में मानव धर्म है। अणुव्रत के अंतर्गत
उपासना गौण है और चरित्र प्रधान है, यह
व्यक्ति-व्यक्ति को बदलने का माध्यम है।
समिति के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश
त्रिपाठी ने बताया कि अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात 67 साल पूर्व
सन् 1949 में एक मार्च के ही दिन सरदारशहर में आचार्य तुलसी ने
किया था। सन् 1950 में दिल्ली में प्रथम अधिवेशन हुआ था,
जिसकी गूंज अमेरिका के टाईम्स पत्र में भी हुई। उन्होंने आगे
कहा कि व्यक्ति को बदलने से समाज के बदलने और समाज को
बदलने से राष्ट्र के बदलाव पर आचार्य तुलसी ने बल दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महिला अणुव्रत कार्यकर्त्ताओं ने अणुव्रत गीतलाडनूंके
संगान से किया। कार्यक्रम में अब्दुल हमीद, राजश्री भूतोड़िया,
रेणु कोचर, रणजीत खटेड़, कमल बैद, सुनीता बैद आदि उपस्थित
थे।View More