अणुव्रत समिति

भारतीय जनतंत्र की उदयवेला, साम्प्रदायिक कट्टरता की आग एवं बढ़ते अनैतिक मूल्यों के दौर में अणुव्रत आंदोलन प्रवर्तक आचार्य तुलसी द्वारा उद्बोधित अणुव्रत आंदोलन के कार्य को सुयोजित करने की दिशा में अप्रैल, 1950 में अणुव्रत समिति का गठन हुआ। इसकी संस्थापना में सर्वश्री जयचंदलाल दफ्तरी, देवेन्द्रकुमार कर्णावट सुगनचंद आंचलिया, मोहनलाल कठोतिया, हनूतमल सुराणा, पारस भाई जैन एवं डॉ. मूलचंद सेठिया योगभूत बने जो अणुव्रत समिति के संस्थापक थे।

अणुव्रत समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य था-अणुव्रत दर्शन के अनुरूप व्यक्ति-निर्माण एवं समाज-निर्माण करते हुए अहिंसक समाज संरचना का प्रयास एवं तद्नुरूप प्रचार.प्रसार एवं अन्यान्य अपेक्षित साधनों द्वारा अणुव्रत आंदोलन को गतिशील बनाना। अणुव्रत आंदोलन ने जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, रंगभेद, लिंगभेद, छुआछूत आदि संकीर्ण दृष्टिकोणों के खिलाफ आवाज उठाकर मानवीय एकता का स्वर बुलंद किया।

संदेश

विश्व क्षितिज को अध्यात्मिक आलोक प्रदाता लोक महर्षि आचार्यश्री महाश्रमण इक्कीसवीं सदी के महान समाज सुधारक है। ‘संयम ही जीवन है’ उद्घोष को मुखरित करने वाले अणुव्रत आंदोलन को आप अणुव्रत अनुशास्ता के रूप में कुशल नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं।

आपका जन्म 13 मई 1962 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ एवं 5 मई 1974 को दीक्षित हुए। एक धर्म संप्रदाय के आचार्य होते हुए भी आपके विचार असम्प्रदायातीत है। अहिंसा और नैतिकता की प्रतिष्ठापना के लिए आप सतत् संलग्न है। मानवीय मूल्यों के पुर्नस्थापना एवं कल्याण के फौलादी संकल्प के साथ 30,000 किलोमीटर की आप द्वारा की गई पद्यात्राएं आपके परम पुरुषार्थ की परिचायक है।

सदस्य सूची
समिति समाचार
  • महासमिति के पदाधिकारियों की संगठन यात्रा

    13 Jun 2017

    अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रदत्त मार्च माह के प्रकल्प में ‘अणुव्रत स्थापना दिवस’ एवं अणुव्रत प्रसार-प्रसार का स्थानीय समिति द्वारा वृहद स्तर पर कार्य किया गया। पूरी दिल्ली में 70 बड़े-बड़े होर्डिग लगाये गये। जगह-जगह अणुव्रत आचार संहिता आदि के पोस्टर एवं फ्लेक्स लगाये गये। करीब 1700 अणुव्रत के पेम्पफलेट बाटें गये। नशामुक्ति हेतु लोगों को प्रेरित कर संकल्प फॉर्म भरवाये गए। अणुव्रत पत्रिका लगभग 250 लोगों को व अणुव्रत स्वर 700 का वितरण किया गया। लगभग 3000 से 4000 व्यक्तियों की उपस्थिति में ओसवाल समाज, विकास मंच होली मेले में अणुव्रत को लोगों ने सुना, जाना और सराहा। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के माध्यम से 14 कवियों ने अणुव्रत पर काव्य पाठ किया। अनेकों प्रबुद्ध व्यक्तियों से सम्पर्क कर उन्हें अणुव्रत से जोड़ा गया। प्रशासनिक वर्ग में भी अणुव्रत को सराहा गया। नई दिल्ली नगर निगम अणुव्रत का मुरीद बन अणुव्रत प्रचार हेतु समिति दिल्ली का महत्वपूर्ण सहयोगी बना।View More

  • 68वें अणुव्रत स्थापना दिवस पर साहित्यकार संगोष्ठी

    12 Jun 2017

    अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास द्वारा 1 मार्च को अणुव्रत स्थापना दिवस के अवसर पर अणुव्रत भवन में आयोहित साहित्यकार संगोष्ठी में देश के अनेक कवि, लेखक, साहित्यकारों ने वर्तमान में अणुव्रत की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार रखें। यह संगोष्ठी अणुव्रत आंदोलन के 68वें स्थापना दिवस के अवसर पर यहां आयोजित की गई। मंत्री मुनिश्री सुमेरमल के सान्निध्य में एवं शासनश्री मुनिश्री किशनलाल, मुनि उदित कुमार, मुनि विजय कुमार, मुनि कुलदीप की उपस्थिति में सभी साहित्यकारों ने अणुव्रत आंदोलन के सूत्रधार युगद्रष्टा गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी के मानवता के प्रति अवदानों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए आज के वातावरण में इनकी उपयोगिता पर विस्तृत विचार और सुझाव रखें। संगोष्ठी में अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी सम्पतमल नाहाटा ने सभी साहित्यकारों का अभिवादन व सम्मान किया। उन्होंने कहा कि आज अणुव्रत का यह सभागार सारगर्भित हो गया है। उन्होंने साहित्यकारों का आवाह्न किया वे अणुव्रत आंदोलन को जन-जन तक पहुचाने के लिए अपने लेखन से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अणुव्रत गीत संयमजीवन से संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। उपस्थित साहित्यकारों में से सबसे पहले अणुव्रत पत्रिका के संपादक अजय शर्मा ने अणुव्रत की वर्तमान में प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से पधारे साहित्यकारों हरिसुमन विष्ट, लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, राजेश चेतन, नरेश शांडिल्य, गजेन्द्र सोलंकी, ओ.पी. हरियाणवी, सपन भट्टाचार्य, शशिकांत, अल्का सिन्हा, रितु गोयल, महेन्द्र शर्मा, रमेश काण्डपाल ने अणुव्रत की प्रासंगिकता पर अनेक कोणों से विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुनिश्री किशनलाल ने प्रेक्षाध्यान के महत्व को समझाते हुए आज के तनावपूर्ण वातावरण में इसको अपनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि जब तनाव मुक्त हो जायेगा तो सकारात्मक सोच का स्वयं उदय हो जायेगा। मुनि उदित कुमार ने कहा कि देश में आचार्य तुलसी ऐसे निर्भीक संत थे जो स्वयं प्रश्न करते थे और स्वयं की उसका उत्तर देते थे उन्होंने अहिंसा यात्रा में सांप्रदायिक सदभाव को सर्वोच्च स्थान दिया। मुनि विजय कुमार ने अणुव्रत की प्रासंगिकता पर सुमधुर गीत का संगा न किया । सुप्रसिद्ध कवियत्री सरोजिनी प्रीतम ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नीची नजरों से देखें पर ‘नीची नजरों से न देखें।’ नारी शक्ति के सम्मान में इससे बेहतर और क्या हो सकता है। आचार्य तुलसी ने स्वयं महिलाओं के प्रति रूढ़िवाद को उखाड़ फेंकने के लिए अणुव्रत आंदोलन में विशेष स्थान दिया। अणुव्रत आंदोलन की प्रासंगिकता पर बोलते हुए हिन्दी आकदमी के पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ साहित्कयार हरिसुमन बिष्ट ने कहा कि विभिन्न मंचों के माध्यम से अणुव्रत को पहुंचाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कहा कि आज छात्रों के बीच में जो कशैला वातावरण बनाने का काम चल रहा है इससे हमंे सजग होना पड़ेगा। अपनी छोटी-छोटी हंसीकाओं से व्यंग करने वाली सुप्रसिद्ध कवियत्री डॉ. सरोजनी प्रीतम ने तो चर्चागोष्ठी के विषय को ही बदलने की बात करते हुए कहा कि वर्तमान में अणुव्रत की प्रासंगिकता के बजाय ‘अणुव्रत की अनिवार्यता’ होना चाहिए। क्योंकि अणुव्रत तो पहले भी प्रासंगिक था आज भी प्रासंगिक है और कल भी रहेगा। अगर इसकी अनिवार्यता हो जाये तो अपने आप में समाज या ये कहिये पूरा विश्व सुख शांति से रह सकेगा। राजेश चेतन ने संपूर्ण संगोष्ठी को आदि से अंत तक जीवंत बनाये रखा बीच-बीच में अपनी चुटीली टिप्पणियों के साथ-साथ अणुव्रत के सिद्धांतों, अणुव्रत आंदोलन और उससे जुड़े सभी उपक्रमों की चर्चा करते हुए अणुव्रत को ओर मजबूत बनाने के लिए आम आदमी तक पहुंचने का आहावान किया। रमेश काण्डपाल ने अणुव्रत को मानव जीवन के लिए औषधि बताया। अलका सिन्हा ने कहा कि जिंदगी इतनी कठिन हो गई है कि बच्चों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे में अणुव्रत न्यास का स्कूलों में बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगितायों का आयोजन करना निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। इस अवसर पर प्रबंध न्यासी सम्पतमल नाहाटा ने कहा कि हम अणुव्रत के माध्यम से बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करते हैं एवं विद्यार्थियों को एक अच्छा वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा देते हैं। नकल की प्रवृति को रोकने के लिए विद्यार्थियों में रचनात्मक ढंग से परिवर्तन लाने का सतत् प्रयास करते हैं। जिसकी हमें आशातीत सफलता प्राप्त है। इस अवसर पर न्यासी शांति कुमार जैन, प्रमोद घोड़ावत, किशनलाल नाहाटा, पूर्व संयुक्त प्रबंध न्यासी सुशील कुमार जैन, विमल गुनेचा व अणुव्रत प्रतियोगिताओं के राष्ट्रीय संयोजक विजयवर्धन डागा और अमृतवाणी के अध्यक्ष सुखराज सेठिया सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।View More

  • राष्ट्रीय अणुव्रत कवि सम्मेलन का आयोजन

    12 Jun 2017

    सेंट्रल पार्क, कनॉट प्लेस में राष्ट्रीय अणुव्रत कवि सम्मेलन का भव्य एवं ऐतिहासिक आयोजन अणुव्रत समिति दिल्ली द्वारा किया गया। दिनांक 1 मार्च 2017 को 68वें अणुव्रत स्थापना दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम अपने आपमें अति महत्त्वपूर्ण इसलिए था क्योंकि एन.डी.एम.सी. (न्यू दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन) एवं दैनिक जागरण आदि सहभागी थे। साथ ही साथ पारस चैनल फेम फाइडर, के.आर.सी.सी., एंटी करप्शन गु्रप आदि सहयोगी संस्थाओं के रूप में उपस्थित थे। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का दीप प्रज्वलन रवींद्र अग्रवाल ने किया। साथ दिया अजातशत्रु मांगीलाल सेठिया, सुखराज सेठिया, तेजकरण सुराणा, संपतकल नाहाटा, धनराज बैद, गोविंद सुराणा, शांति कुमार जैन, आसकरण आंचलिया व कमल गांधी आदि गणमान्य व्यक्तियों ने। समिति के अध्यक्ष डॉ. पी.सी. जैन ने अणुव्रत दर्शन, कार्यक्रम संयोजक व परामर्शक बाबूलाल दूगड़ ने स्वागत, उपाध्यक्ष व महासमिति कार्यालाय प्रभारी शांतिलाल पटावरी ने आभार एवं संचालन मंत्री डॉ. कुसुम लूनिया ने किया। आकाशवाणी रेडियो, एफ.एम., टी.वी. चैनल एवं अखबारों ने भी कार्यक्रम की प्रस्तुति एवं अणुव्रत की अवधारणा को खूब सराहा। सर्वधर्म समवाय के समस्त धर्मावलंबी प्रतीक प्रतिनिधियों द्वारा अणुव्रत गीत की प्रस्तुति संजय भटेरा ने की, साथ दिया मनोज निहारिका खटेड़, सुशील डागा, धनपत नाहटा, ललित लूनिया, राजीव महनोत व महासमिति के महामंत्री अरुण संचेती, ने। सुंदर पण्डाल व्यवस्था भीकम सुराणा ने की। ‘अणुव्रत स्वर’ पत्रिका लोकार्पण हेतु राज्यसभा सांसद डॉ. सत्यनारायण जटिया को संपादक रतनलाल सुराणा एवं डॉ. हंसा संचेती ने पत्रिका भेंट की। साथ में सी.एम. दिल्ली के प्रतिनिधि राकेश शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। अंतरराष्ट्रीय कवि गजेन्द्र सोंलकी के मंच संचालन में आमंत्रित कविगण डॉ. सत्यनारायण जटिया, प्रोअशोक चक्रधर, डॉ. हरिओम पंवार, डॉ. सरिता शर्मा, राजेश चेतन, मनवीर ‘मधुर’, चरणजीत ‘चरण’ एवं सचिन अग्रवाल आदि ने अणुव्रत आचार संहिता आधारित कविताओं को विभिन्न रसों से सराबोर करके प्रभावी अंदाज में पढ़ा तो तिरंगे की छॉव तले समस्त माहौल देशभक्ति एवं अणुव्रतमय हो उठा। पारस चैनल के माध्यम से भारत के साथ-साथ 120 देशों के लाखों काव्य प्रेमियों ने अणुव्रत कवि सम्मेलन का आनंद लिया। अब्दुल जज्बार, सत्यदेव, महेन्द्र शर्मा, पुष्पा सिंघी एवं कमल सेठिया ने भी ओजपूर्ण कविता पढ़ी। विवेक बोरड़, बाबूलाल गोलछा, सत्यपाल चावला, डॉ. धनपत लूनिया, राकेश नाहटा आदि ने आतिथ्य सत्कार, प्रमोद दुगड़, निशा अग्रवाल, अंतिका जैन ने मीडिया काउंटर, विजयलक्ष्मी शर्मा एवं अर्पित गुहां ने प्रचार-प्रसार एवं दिनेश शर्मा ने प्रशासन व्यवस्थाओं को बखूबी संभाला। अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन, एडवोकेट, महामंत्री अरुण संचेती का प्रेरणा-प्रोत्साहन एवं अणुव्रत समिति दिल्ली की पूरी टीम के समर्पित कार्य से सेंट्रल पार्क, नई दिल्ली से अणुव्रत के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जुड़ा। सूचनाएं अगर आप अणुव्रत पत्रिका के सदस्य हैं तथा किसी कारण से आपको पत्रिका समय पर नहीं मिल रही है तो तुरंत महासमिति कार्यालय को सूचित करें। पत्रिका में आप द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की रिपोर्ट (फोटो सहित) महीने की 15 तारीख तक अवश्य भेजने की कोषिष करें। सभी अणुव्रत समितियां अपने पदाधिकारियों व सदस्यों की पतेमय जानकारी (टेलीफोन नं., ब्लड गु्रप, जन्म तारीख, पत्नी व माता पिता के नाम तथा रंगीन फोटो सहित) यथा संभव शीेघ्र कार्यालय में प्रेषित या ईमेल करें। इसे अति आवश्यक समझें, क्योंकि पूरे देशभर की डायरेक्ट्री शीघ्र बनाने का निर्णय लिया गया है। कृपया कोलार्ज वाली फोटो न भंेजे। निवेदक: अध्यक्ष/महामंत्री सुझाव आमंत्रित: अणुव्रत पत्रिका को और अधिक लोकप्रिय व उपयोगी बनाने हेतु सुधी पाठकों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं।View More