अणुव्रत समितियों द्वारा 68वें अणुव्रत स्थापना दिवस पर आयोजित
13 Jun 2017
स्थानीय समिति द्वारा शासनश्री पानकुमारीश्री,
शासनश्री मेणरियाश्री व शासनश्री संयम श्री के सान्निध्य में स्वस्थ
जीवन की आचार संहिता-‘अणुव्रत’ विषय पर लाल कोठी, बोथरा
मोहल्ला के प्रांगण में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
समिति के कोषाध्यक्ष झँवरलाल गोलछा ने आगंुतकों का
स्वागत करते हुए अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्पों पर जानकारी दी
व कहा कि समिति के वरिष्ठ अणुव्रतियों का सहज सहयोग निरंतर
मिलता रहा है। समिति के पूर्व सदस्य जो कि 75 वर्ष की आयु से
अधिक हो चुके हैं, स्वास्थ्य ठीक नहीं होते हुए भी सक्रिय रूप से
प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
महासमिति के कार्यसमिति सदस्य सरदारअली पड़िहार
(अणुव्रत सेवी) ने कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर अपने
आपको स्वस्थ रखने, सहनशील बनने और आत्मबल से हृदय
परिवर्तन करते हुए, सकारात्मक रूख का सद्व्यवहार करना है।
समिति के अध्यक्ष इन्द्रचंद सेठिया ने कहा कि वर्तमान युग
परिप्रेक्ष्य में आचार्य तुलसी द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत के संदेशों से
राष्ट्रीय उन्नति व व्यक्तित्व विकास में सहयोग दिया जा सकता है।
प्रमीला बैगानी ने कहा कि अणुव्रत सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह्मचर्य,
अपरिग्रह पर आधारित है।
साध्वी मुक्ताप्रभा ने गीतिका के माध्यम से कहा कि ‘‘अणुव्रत
है संसार जगाने के लिए, जन-जन में नैतिक निष्ठा पाने के लिए’’,
अणुव्रतों के द्वारा हमारा चिंतन स्वस्थ व सुंदर रह सकता है।
भौतिक युग में नियमों की पालना व उनमें निष्ठा रखने वाला बड़ा
होता है। संसार की मूल समस्या परिग्रह है। आत्मबल और अणुव्रत
आत्मिक संकल्पों के द्वारा संयम रखकर अनुशासित होकर काबू
पाया जा सकता है।
साध्वीश्री सम्वेगश्री ने कहा कि भगवान महावीर ने संयमित
जीवन जीने के सूत्र दिये, जिन्हें अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी ने
अपने माध्यम से नवीनीकरण किया है। समिति के संगठन मंत्री
सुंदरलाल झाबक, उपाध्यक्ष शांतिलाल सुराणा व कन्या मण्डल की
अध्यक्षा प्रज्ञा नौलखा ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
शासनश्री साध्वीश्री संयमश्री ने कहा कि ‘हो सके तो आग
बुझाना, आग जलाना मत सीखो, पिला सको तो अमृत पिलाना,
विष पिलाना मत सीखो।’ इस प्रकार नकारात्मक कार्यों को छोड़ते
हुए सकारात्मक कार्यों को सद्भाव से करो। साध्वी सहजप्रभा ने
कार्यक्रम का संचालन किया व वर्तमान युग में अणुव्रत आचार
संहिता की पालना करना मुख्य मानव धर्म बताया।View More