भारतीय जनतंत्र की उदयवेला, साम्प्रदायिक कट्टरता की आग एवं बढ़ते अनैतिक मूल्यों के दौर में अणुव्रत आंदोलन प्रवर्तक आचार्य तुलसी द्वारा उद्बोधित अणुव्रत आंदोलन के कार्य को सुयोजित करने की दिशा में अप्रैल, 1950 में अणुव्रत समिति का गठन हुआ। इसकी संस्थापना में सर्वश्री जयचंदलाल दफ्तरी, देवेन्द्रकुमार कर्णावट सुगनचंद आंचलिया, मोहनलाल कठोतिया, हनूतमल सुराणा, पारस भाई जैन एवं डॉ. मूलचंद सेठिया योगभूत बने जो अणुव्रत समिति के संस्थापक थे।
अणुव्रत समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य था-अणुव्रत दर्शन के अनुरूप व्यक्ति-निर्माण एवं समाज-निर्माण करते हुए अहिंसक समाज संरचना का प्रयास एवं तद्नुरूप प्रचार.प्रसार एवं अन्यान्य अपेक्षित साधनों द्वारा अणुव्रत आंदोलन को गतिशील बनाना। अणुव्रत आंदोलन ने जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, रंगभेद, लिंगभेद, छुआछूत आदि संकीर्ण दृष्टिकोणों के खिलाफ आवाज उठाकर मानवीय एकता का स्वर बुलंद किया।